Friday, 1 May 2015

सार सारहीन है


ये संसार सारहीन है इसमें इतना ही सार है कि मानव शरीर पा कर हरि एवं गुरु से सच्चा प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो जाय।

.......श्री महाराज जी।

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