Wednesday 11 February 2015

संसार में तो केवल व्यवहार करना है

अपने व्यवहार को संसार के अनुकूल बनाओ। इसमें बहुत लोग भूल किया करते हैं। कहते हैं अजी...... हमसे किसी कि खुशामद नहीं होती किसी की गुलामी नहीं होती।
यह गुलामी और खुशामद दो प्रकार कि होती हैं - एक एक्टिंग में और एक फैक्ट में। हम फैक्ट में नहीं कर रहें हैं कि किसी के आगे झुक जाओ।
फैक्ट में तो केवल हरि हरिजन के आगे ही झुकना है। संसार में तो केवल व्यवहार करना है।
{ कम बोलो , मीठा बोलो। अपने व्यवहार को मधुर बनाओ। }

-------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु

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