मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी ,
मैं तो भूल गई बरसानो री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री
कहें गोपियाँ माखनचोरी करे वो नंदकिशोर री
धर के हथेली दिल दे आई ,
कैसे कहूँ चित्तचोर री
चलो ना कोई जोर री ,
मैं किसने देऊ उल्हानो री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री
ऐसी भई मैं श्याम की श्यामा ,
मैं तो हुई बडभागन री
जागत जागत खोवन लगी मैं ,
सोवत सोवत जागन री
अब श्याम रहे मेरी आंखन मैं, जग दिखे बेगानों री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री
सबई कहें ठगन को ठग है ,
जो है नन्द को लालो
मैं का मानू बात सखी वो मेरे है देखो- भालो
देखन मैं बेशक है कालो ,
वो सबने करे दीवानों री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री
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