Sunday 8 February 2015

मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी

मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी ,
मैं तो भूल गई बरसानो री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री 

कहें गोपियाँ माखनचोरी करे वो नंदकिशोर री 
धर के हथेली दिल दे आई ,
कैसे कहूँ चित्तचोर री
चलो ना कोई जोर री , 
मैं किसने देऊ उल्हानो री 
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री

ऐसी भई मैं श्याम की श्यामा , 
मैं तो हुई बडभागन री
जागत जागत खोवन लगी मैं ,
सोवत सोवत जागन री
अब श्याम रहे मेरी आंखन मैं, जग दिखे बेगानों री 
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री 

सबई कहें ठगन को ठग है ,
जो है नन्द को लालो
मैं का मानू बात सखी वो मेरे है देखो- भालो
देखन मैं बेशक है कालो ,
 वो सबने करे दीवानों री 
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,
का पूछो हो मेरो ठिकानो री

No comments:

Post a Comment