याते मायाबद्ध ते न प्यार करो बामा |
हरि गुरु ते ही प्यार करो आठु यामा || ६१ ||
मायाधीन जीव से प्रेम करने का परिणाम यही निकलेगा कि मृत्यु के बाद उसी की प्राप्ति होगी | इसलिए जीव को एकमात्र हरि एवं गुरु से ही निरंतर प्रेम संबंध जोड़ना है |
-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
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