Saturday, 11 April 2015

सुधासिंधू श्री गुरुवर


हास परिहास में भी शास्त्रीय सिद्धांतो का निरूपण करके प्रत्येक जाति, प्रत्येक संप्रदाय, बाल,युवा,वृद्ध सभी आयु तथा शिक्षित-अशिक्षित, मुर्ख-विद्धान सभी को जिन्होंने प्रेम पाश में बांधकर विश्व बंधुत्व का क्रियात्मक रूप स्थापित किया है, ऐसे सहज सनेही सुधासिंधू श्री गुरुवर के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।
समस्त शास्त्रों वेदों के गूढ़तम सिद्धांतो को भी सरल सरस रूप में प्रस्तुत करके जनसाधारण के मस्तिष्क में बैठाना, जिनके व्यक्तित्व की विलक्षणता है, ऐसे ज्ञान के अगाध समुद्र, गुरुवर को कोटि कोटि प्रणाम।

जो श्री राधाकृष्ण भक्ति के मूर्तिमान स्वरुप है, ऐसे रसिक शिरोमणि है की स्वयं तो ब्रजरस में डूबे ही रहते है साथ ही बरबस पतितो को भी यह रस प्रदान करते है. कोई अधिकारी हो या ना हो सब पर ही कृपा सिन्धु श्री कृपालु गुरुदेव कृपा की वर्षा करते है। ऐसे कृपासिंधु सदगुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।
शास्त्रीय सिद्धांतो को प्रवचन, साहित्य, टेलीविजन,के माध्यम से एवं प्रचारकों को शिक्षित करके देश-विदेश में भेजकर, वो अमूल्य दिव्य ज्ञान को जनसाधारण तक पहुँचाकर, संपूर्ण विश्व का महान उपकार करने वाले करुणावतार श्री कृपालु गुरुदेव के कोमल चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

No comments:

Post a Comment