Ajit Kumar Kar
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Saturday, 11 April 2015
छैल बिहारी
नहिं बिसरत सखि छैल बिहारी।
जित देखूँ तित वोही वोही दीखत,
हाय! ये कैसी मोहिनि डारी।
अब 'कृपालु' मम लगत न पलकें,
देखि अनूपम रूप बिहारी।
नहिं बिसरत सखि छैल बिहारी।
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