श्यामा-श्याम की प्राप्ति गुरु द्वारा ही होगी । अतएव गुरु की शरणागति निरन्तर बनी रहे, तदर्थ निरन्तर अनुकूल भाव से ही अनुसरण करना है तथा सदा यही सोचना है कि वे ही हमारे हैं । शेष सफर के यात्री मिलन के समान हैं ।
------- श्री महाराजजी ।
राधे - राधे ।
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