महापुरुष आदेश से पृथक् कोई कल्पना भी करना महान घातक है। महापुरुष एवं भगवान में इस प्रकार का दोषारोपण करना भी अपराध है कि वे हमारे ऊपर कृपा नहीं करते। साधक को सदा अपने में ही दोष देखने चाहिए, एवं उसकी पूर्ति के लिए प्रत्यन भी करना चाहिए। धीरे धीरे, हरिजन कृपा से सब ठीक हो जायेगा। घबड़ाने की कोई आवश्यकता नहीं।
निवेदक:
कृपालु
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