Sunday, 5 April 2015

Kripalu Bachnamrit


प्रश्न: सेवा को साधना से अधिक बड़ा क्यो माना गया है?उत्तर: श्री महाराजजी द्वारा: क्योकि यह जीव का स्वाभाविक स्वभाव है,जीव अनादिकाल से भगवान का दास है। जबतक भग्वत्प्राप्ति न होगी तब तक प्रत्यक्ष गुरु प्राप्त है,वह भगवतस्वरूप है। गुरु की दासता करना उसकाधर्म हैं,और भग्वद्प्राप्तिके बाद गोलोक में भी गुरु का दास रहेगा। दासत्व उसका धर्म है। जैसे अग्नि का धर्मजालना है,ऐसे ही जीव का धर्म दासत्व है।
Radhey Radhey

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